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एक शिक्षक ऐसे भी , जिनके कार्यों की क्षेत्र में हो रही सराहना

एक शिक्षक ऐसे भी , जिनके कार्यों की क्षेत्र में हो रही सराहना 

 कर्तव्यनिष्ठ शिक्षक सुरेंद्र लगातार 20 वर्षों से ईमानदारी व लगनशीलता से छात्रों को दे रहे शिक्षा      

खबर शहडोल जिले के बुढार जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत कचहर अंतर्गत शासन द्वारा संचालित पूर्व माध्यमिक विद्यालय कचहर का हैं! संस्था में पदस्थ शिक्षक सुरेंद्र सिंह पिता स्वर्गीय अमृतलाल सिंह निवासी कोलुहा की गत दिवस पेपर में गलत प्रकाशित बिना संपर्क के कारण हो गया था। क्षैत्र के लोगो से संपर्क करने और इनसे भी या कुछ और अन्य लोगो से सम्पर्क करने पर पता चला कि इनके द्वारा किसी भी प्रकार की शिक्षकों से कोई वसूली नहीं की जाती है। और न ही किसी शिक्षक को परेशान किया जाता है।। किसी भी अधिकारी के नाम से किसी भी प्रकार की कोई पैसा नहीं मांगी जाती है। इनको केवल दुश्मनी के कारण बदनाम किया गया है।। इनका पूरा नाम सुरेंद्र सिंह है ये उपाधि धारी बरगाही परिहार है।शिक्षक सुरेंद्र सिंह एक शिक्षक के साथ साथ समाजसेवी भी है। ये धार्मिक क्षेत्र में भी काफ़ी शहयोग की भावना रहता हैं।सोच यह है कि शासन के द्वारा बच्चों को जो भी सुविधा दिया जा रहा है उन सुख सुविधाओं से कोई भी बच्चा वंचित न रह पाए शिक्षक सुरेंद्र सिंह एक सम्मानित व्यक्ति है और यह अपने समाज में सबके दुख सुख में साथ देने वाला व्यक्ति बहुत ही कम देखने को मिलता है लेकिन ग्राम भाटिया के कोलुहा गांव से एक ऐसे शिक्षक के बारे में बात कर रहे हैं जिनका कार्य सराहनीय है यह बच्चों की शिक्षा को लेकर कभी भी कोई कंप्रोमाइज नहीं करते इनका उद्देश्य रहता है कि बच्चे ज्यादा से ज्यादा स्कूलों से पढ़कर निकले और अपने घर अपने गांव अपने देश का नाम रोशन करे बात करें स्कूल की व्यवस्थाओं की जैसे कि बच्चों की मध्यान भोजन पानी पीने की व्यवस्था स्कूल में बच्चों की बैठने की व्यवस्था बच्चों की खेलने कूदने की व्यवस्था को लेकर भी कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं करते हैं इनका कहना यह है कि जब शासन द्वारा बच्चों के लिए जो भी सुविधा दे रखी है उन सुविधाओं को बच्चों को उपलब्ध कराना अनिवार्य होना चाहिए शिक्षक सुरेंद्र सिंह शिक्षक के साथ-साथ समाजसेवी हुई है समाज में इनका नाम चलता है और यह अपनी तरफ से यह सोचते हैं कि मेरे तरफ से कभी किसी का दिल न दुखे है हमेशा हर संभव लोगों के मदद के लिए तत्पर खड़े रहते हैं जैसे कोई धार्मिक कार्यक्रम होता है उस पर भी एक अच्छा योगदान रहता है ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह की टीचर कम ही देखने को मिलते हैं जो अपने बारे में ना सोच के सभी के बारे में सोचकर सबको एक बराबर लेकर चलते हैं किसी के प्रति कोई भेदभाव नहीं इनके अंदर ना ही कोई जातिवाद का भाव देखा जाता है यही है एक इंसानियत की पहचान

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